SHAYARI 03-12-2024
रिन्दों की महफ़िल से न नाता कभी था,पीना पिलाना भी न आता कभी था ,मिली तुमसे नज़रें तो ये क्या हुआ,कि साग़र पे साग़र पिए जा रहे हैं !!~ प्रेम निशीथ--साक़ी ने जिसे चाहा दीवाना बना डाला,जिस जिस पे नज़र डाली, मस्ताना बना डाला ।इतना तो नज़र करना, ऐ नरगिसे मस्ताना,जब जान लबों पर हो, तुम सामने आ जाना ।
----
दूर से आये थे साक़ी सुन के मयख़ाने को हम !
बस तरसते ही चले अफ़सोस पैमाने को हम !!
मय भी है मीना भी है साग़र भी है साक़ी नहीं !
दिल में आता है लगा दें आग मैख़ाने को हम !!
~ नज़ीर अकबराबादी
--
दोआ हो एक दो साग़र की, ये तौहीन है उसकी,
हमे जब प्यास लगती है तो दरिया
मांग लेते हैं ।
जो तुझको मांगते तो सारा आलम उनको
मिल जाता,
बड़े नादां हैं जो तुझसे ये दुनियाँ मांग लेते हैं ।
--
मैकशों की लग्ज़िशें नाज़ से ना
टालिए !
आप ने पिलाई है आप ही सम्हालिए !!
हमसफ़र का ज़िक्र क्या राहबर की
फ़िक्र क्या !
मंजिलें हैं हर तरफ़ रास्ते निकालिए
!!
~ हक़ कानपुरी
--
तेरे लिए चलते थे हम तेरे लिए ठहर
गए !
तूने कहा तो जी उठे तूने कहा तो मर गए !!
इतने क़रीब हो गए अपने रक़ीब हो गए !
वो भी‘अदीम’ डर गया हम भी ‘अदीम’ डर गए !!
~ अदीमहाशमी
----
ना हौसला कभी हारे हैं न और हारेंगे !
तुम्हारे इश्क़ में ये ज़िंदगी गुजारेंगे !!
हमें यक़ीं है जो नाराज़ आज हम से हैं !
कल अपनी ज़ुल्फ़ हमारे लिए सवारेंगे !!
~ कर्नल ज़ाहिदुल सिद्दीक़ी
-----
इंकार मे इक़रार की बात आ ही गई !
बातों मे गमे यार की बात आ ही गई !!
जब सुर्खिये गुलशन का कभी ज़िक्र हुआ है !
तेरे लबो रूखसार की बात आ ही गई है !!
- मज़हर इमाम
Comments
Post a Comment