Lo Nadi Ban Gai Main Tumharey Liye_लो नदी बन गई मैं तुम्हारे_Prarthna pa...
PRARTHNA PANDIT (BHOPAL)
तुम जो आंसू बने चंद धारे के लिए,
तुमने पतझड़ में जो दिन गुज़ारे किये,
रेत सा जल रहा था ये मौसम तो फिर,
लो नदी बन गई मैं तुम्हारे लिए !
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बचपना खेलता मेरी गोदी में जब,
हर सपन झूलता मेरी लहरों में तब,
जिन किनारों पे भोला लड़कपन रहा,
वो सदी बन गई मैं तुम्हारे लिए !
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तुमसे जब जब मिली प्रेम में सर झुका,
इस समर्पण में सारा समय जब रुका,
मंदिरों के दिए सा ये मन हो गया,
आरती बन गई मैं तुम्हारे लिए !
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इस प्रणय गीत में एक मैं एक तुम,
यूँ विकल हो के दूजे में हैं आज गम,
जब लगा के भटकने लगे तुम प्रिये,
मानसी बन गई मैं तुम्हारे लिए !
- प्रार्थना पंडित (भोपाल)
१९-१०-२०२४, जश्ने मौजशाही २०२४
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