ROOH-E-SHAYRI~आपकी राहों में चलना इस क़दर अच्छा लगा | हमने कुछ सोचा नहीं, की पैर में काँटा लगा ||
आपकी राहों में चलना इस क़दर अच्छा लगा | हमने कुछ सोचा नहीं , की पैर में काँटा लगा || आपकी आँखों के अन्दर किस कदर गहराई है | दूर तक एक प्यार का बहता हुआ दरिया लगा || आपको देखा किया मैं , चाँद को देखा नहीं | आपका चेहरा तो मुझको चाँद से प्यारा लगा || " रौनक " इतनी आग भर दी प्यार ने इस जिस्म में | ठंडा ठंडा सा बदन भी किस क़दर जलता लगा || - प्रदीप श्रीवास्तव ' रौनक़ कानपुरी '