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Showing posts from March, 2018

YE TERA GHAR YE MERA GHAR COVER & LIVE SINGING BY PRADEEP SRIVASTAVA A...

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SALAM E ISHQ MERI JAAN COVER & LIVE SINGING RADEEP SRIVASTAVA & SUMAN SINGH

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MUSHAYRA- BEHATREEN SHAYARI BY ATEEQ FATEHPURI - US SEY DIL KI BAAT LIV...

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NA JEE BHAR KE DEKHA - COVER & LIVE PERFORMANCE SUMAN SINGH

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MUSHAYRA- PEERON KI FAQEERON KI BUZURGON KI DUA HAI - BUDDH SEN SHRAM

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CHUPKE CHUPKE SAKHIYON SE WO- LIVE AND COVER SINGING BY PRADEEP SRIVASTAVA

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PEE GAYE PITEY PITEY-LIVE & COVER SINGING BY PRADEEP SRIVASTAVA

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MATA RANI KE BHAWAN ME - LIVE AND COVER VERSION - SUMAN SINGH

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PRADEEP'S JOKE - PANDIT JI CHAKKARA GAYE -पंडित जी चकरा गए

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DIL ME HO TUM - COVER SINGING & LIVE PERFORMANCE OF PRADEEP SRIVASTAVA

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AJEEB DASTAN HAI YE COVER VERSION - LYRIC - SUMAN SINGH, KANPUR

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AA CHAL KE TUJHE - COVER & LIVE PERFORMANCE BY PRADEEP SRIVASTAVA ON 12...

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HOLI AAYI JHUMKA HAM LAIBEY PRADEEP SRIVASTAVA & SUMAN SINGH

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2018 03 16 PRADEEP SRIVASTAVA LIVE ON FB2

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KAL RAAT UJALA THA BAHUT MERE BADAN MEIN - USTAD QAYUM NASHAD FAIZABADI

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HOLI GEET - HAMKO MILEY BANWARI BY SUMAN SINGH LIVE FOR JMD MUSIC CHANNE...

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RADHA KAHE GIRDHARI NA MARO - PRADEEP SRIVASTAVA & SUMAN SINGH

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शायरी

छुपी होती हैं लफ़्ज़ों में गहरी राज की बाते ! लोग शायरी या मज़ाक समझ के बस मुस्कुरा देते हैं !!

गठबंधन

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:राजनीति भी कितनी कुत्ती हो गई: बासपा बैखलाहट में ये भूल गई कि अगर गेस्टहाउस में गैस कांड हो जाता तो शायद बासपा का अस्तित्व ही खत्म हो जाता । कहावत सही है कि राजनीति में सत्ता हासिल करने के लिए आज के राजनीतिज्ञ गooo भी खाने को तैयार हैं ।

TRIBUTE TO SRIDEVI BY PRADEEP SRIVASTAVA

TRIBUTE TO SRIDEVI BY PRADEEP SRIVASTAVA ON JMD CHANNEL, KANPUR- https://youtu.be/s_DG97Yy_F8

GOOD MORNING

सुप्रभात, शतरंज का एक नियम बहुत अच्छा है, चाल कोई भी चले पर अपने वालों को नहीं मार सकते, काश ये नियम इंसानों में भी होता ! आपका, प्रदीप श्रीवास्तव, ग़ज़ल गायक

ये सियासत रंडियों, जैसा खुला बाज़ार है .

आजकल हर शख्स , बिकने के लिये तैयार है . ये सियासत रंडियों, जैसा खुला बाज़ार है . नाम के हैं लोकसेवक, काम से हैं बादशाह , अब सदन ऐसे लगे, ज्यों राजसी दरबार है . नीति, नीयत, नेकनामी, से नहीं है वास्ता , कुर्सियों पर बैठने को, वो भी दावेदार है . थाह पाना है नहीं आसान, इनकी सोच का , इनके आगे पानी भरता, झूठ का सरदार है. इक दफ़ा कुर्सी मिली तो, सब ग़रीबी मिट गई , ख़ूब फलता, फूलता ये, आज कारोबार है . क़ातिलों को रेस्ट हाउस, कुर्सियां मक्कार को , चोर की करता हिफ़ाज़त, आज थानेदार है . डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला, 98262-36218