Chaudhvin Ka Chand Ho- चौदवीं का चाँद हो - cover by Pradeep Srivastava ,...
चौदहवीं का चाँद हो या आफ़ताब हो - रवी / शकील बदायुनी मोहम्मद रफ़ी चौदहवीं का चाँद हो , या आफ़ताब हो जो भी हो तुम खुदा कि क़सम , लाजवाब हो ज़ुल्फ़ें हैं जैसे काँधे पे बादल झुके हुए आँखें हैं जैसे मय के पयाले भरे हुए मस्ती है जिसमे प्यार की तुम , वो शराब हो चौदहवीं का ... चेहरा है जैसे झील मे खिलता हुआ कंवल या ज़िंदगी के साज पे छेड़ी हुई गज़ल जाने बहार तुम किसी शायर का ख़्वाब हो चौदहवीं का ... होंठों पे खेलती हैं तबस्सुम की बिजलियाँ सजदे तुम्हारी राह में करती हैं कैकशाँ दुनिया-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ का तुम ही शबाब हो चौदहवीं का ...