वही दिल नशीं इशारे वही जा नवाज़ अदाएं, जो ग़ज़ल की जान ख़ुद हो हम उसे ग़ज़ल सुनाएं ! तेरी तारीफ में कुछ लफ्ज़ कम पड़ गए , वरना हम भी किसी ग़ालिब से कम नहीं । हम तो लिख देते हैं , जो भी दिल में आता है हमारे , आपके दिल को छू जाए तो ' इत्तफाक ' समझिये ! साक़ी न मुझे जाम न पैमाना चाहिए ! तेरी निगाहे मस्त का नज़राना चाहिए !! मेराजे इश्क़ इसी का तो नाम है ! ख़ुद शम्मा कह उठे मुझे परवाना चाहिए !! - अफज़ल मंगलोरी हालात के क़दमों पे , कलंदर नहीं गिरता , टूटे जो सितारा तो ज़मी पर नहीं गिरता ! गिरते हैं समंदर में बड़े शौक़ से दरिया , लेकिन कभी दरिया में समंदर नहीं गिरता ! वो हमारी ज़िंदगी मे इस तरह शामिल रहा , जैसे ख़ुशबू गुल मे सीने मे धड़कता दिल रहा । उससे इज़हारे मोहब्बत कर न पाये लब कभी , एक ज़रा सा काम था , और उम्र भर मुश्किल रहा । - राजेंद्र तिवारी अच्छी सूरत को संवरने की ज़रूरत क्या है ! सादगी में भी क़यामत की अदा होती है !! तुम जो आ जाते हो मस्जिद में अदा करने नमाज ! तुमको मालूम है कितनो की क़ज़ा होती है !! एक नया चाँद जमाने को दिखाना होगा , उसके चेहरे