SHAYARI 3-3-2022
वही
दिल नशीं इशारे वही जा नवाज़ अदाएं,
जो
ग़ज़ल की जान ख़ुद हो हम उसे ग़ज़ल सुनाएं !
तेरी
तारीफ में कुछ लफ्ज़ कम पड़ गए,
वरना
हम भी किसी ग़ालिब से कम नहीं ।
हम तो
लिख देते हैं, जो भी
दिल में आता है हमारे,
आपके
दिल को छू जाए तो 'इत्तफाक' समझिये !
साक़ी
न मुझे जाम न पैमाना चाहिए !
तेरी
निगाहे मस्त का नज़राना चाहिए !!
मेराजे
इश्क़ इसी का तो नाम है !
ख़ुद
शम्मा कह उठे मुझे परवाना चाहिए !!
-
अफज़ल मंगलोरी
हालात
के क़दमों पे, कलंदर
नहीं गिरता,
टूटे
जो सितारा तो ज़मी पर नहीं गिरता !
गिरते
हैं समंदर में बड़े शौक़ से दरिया,
लेकिन
कभी दरिया में समंदर नहीं गिरता !
वो हमारी ज़िंदगी मे
इस तरह शामिल रहा,
जैसे ख़ुशबू गुल मे
सीने मे धड़कता दिल रहा ।
उससे इज़हारे मोहब्बत
कर न पाये लब कभी,
एक ज़रा सा काम था, और उम्र भर
मुश्किल रहा ।
- राजेंद्र तिवारी
अच्छी
सूरत को संवरने की ज़रूरत क्या है !
सादगी
में भी क़यामत की अदा होती है !!
तुम
जो आ जाते हो मस्जिद में अदा करने नमाज !
तुमको
मालूम है कितनो की क़ज़ा होती है !!
एक नया चाँद जमाने
को दिखाना होगा,
उसके चेहरे पे जो
घूँघट है हटाना होगा ।
रौशनी देखना है चाँद
से चेहरे की अगर,
सारी जलती हुई
शम्मों को बुझाना होगा ।
- नसीम अख़्तर
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