JAB KABHI DIL PAR HAMARE GHAM KA BAADAL CHHA GAYA
JAB KABHI DIL PAR HAMARE
GHAM KA BAADAL CHHA GAYA
जब कभी दिल पर
हमारे ग़म का बादल छा गया !
ए मेरे ख़्वाजा
तुम्हारा नाम लब पर आ गया !!
जब भंवर में नाव
चकराई फंसी मझधार में !
नाम लेते ही
किनारे पर सफ़ीना आ गया !!
आपसे जलवा है
सारा और दुनिया कुछ नहीं !
आपसे हैं रौनकें
जो पाने वाला पा गया !!
कुछ नहीं है रूह
की लज़्ज़त हरम की राह में !!
बन्दए दिल वो बना
जो आपका दर पा गया !!
ख़्वाजा मेरे आपके
क़दमों में जब सर रख दिया !
रखियेगा अपनी नज़र
हमको ये जीना आ गया !!
~ हज़रत शाह मंज़ूर आलम
"कलंदर मौजशाही "
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