शायरी

ज़मीन पाँव में, सर आसमान रखते है !
कौन है अपना-परा़या ये ध्यान रखते हैं !!
रहे जो चुप तो ये, दुनियाँ नहीं जीने देगी !
बता दो सबको कि हम भी ज़बान रखते हैं !!
- विष्णु सक्सेना

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