शायरी

कश्ती से मेरी अपना,पूरा हिसाब लेकर,
दरिया उछल रहा है,देखो हुबाब लेकर !!
हैरत से चाँद-तारे,सब मुझको देखते हैं,
हाथों में चल रहा हूं, मैं आफ़ताब लेकर !!
-निज़ाम राही

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