Shayri
सुनहरी भोर लिक्खा है सुहानी शाम लिक्खा है।
कभी तितली के पंखों पर तुम्हे पैगाम लिखा है।।
मेरी साँसों में अक्सर ही जो आ कर के महकती है।
हवाओं के बदन पर भी तुम्हारा नाम लिक्खा है।।।
~पंकज अंगार ललितपुर
सुनहरी भोर लिक्खा है सुहानी शाम लिक्खा है।
कभी तितली के पंखों पर तुम्हे पैगाम लिखा है।।
मेरी साँसों में अक्सर ही जो आ कर के महकती है।
हवाओं के बदन पर भी तुम्हारा नाम लिक्खा है।।।
~पंकज अंगार ललितपुर
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