Mushaira_Wo Jaane Mohabbat Hai_Ateeq Fatehpuri_Saheb Smriti Foundation_1...

ग़ज़ल

वो जाने मोहब्बत है उनको जो कहीं पाना,

बेसाख्ता गिर जाना पैरों से लिपट जाना !

 

जंगल को कि बस्ती हो आँखों को ना तरसाना,

सूरत न जहां पर हो मूरत में नज़र आना !

 

कुछ लोग यहाँ पर भी दीदार के प्यासे हैं,

धरती जो बुलाये तो, पर्वत से चले आना !

 

हम ज़प्तों के आशिक हैं हम सब्र के पैकर हैं,

हम लोगों को आता है संकट से गुज़र जाना !

 

इस धर्म की चादर में ठंडक भी है राहत भी,

तन जलने लगे जिस दम छाया में चले आना !

 

दिल मेरा तडपता है, ख्वाहिश है बहुत लेकिन,

वो दोस्त कहाँ हैं अब जिनसे करूँ याराना !

 

दुनियां है अतीक़ अपनी आँखों को खुला रखना,

आईने के धोके में पत्थर न उठा लाना !

 

- अतीक़ फ़तेहपुरी

https://youtu.be/YJmHGw8nCbw


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