Mushaira_Wo Jaane Mohabbat Hai_Ateeq Fatehpuri_Saheb Smriti Foundation_1...
ग़ज़ल
वो जाने मोहब्बत है
उनको जो कहीं पाना,
बेसाख्ता गिर जाना
पैरों से लिपट जाना !
जंगल को कि बस्ती हो आँखों को ना
तरसाना,
सूरत न जहां पर हो मूरत में नज़र आना !
कुछ लोग यहाँ पर भी दीदार के प्यासे
हैं,
धरती जो बुलाये तो, पर्वत से चले आना !
हम ज़प्तों के आशिक हैं हम सब्र के पैकर
हैं,
हम लोगों को आता है संकट से गुज़र जाना
!
इस धर्म की चादर में ठंडक भी है राहत
भी,
तन जलने लगे जिस दम छाया में चले आना !
दिल मेरा तडपता है, ख्वाहिश है बहुत
लेकिन,
वो दोस्त कहाँ हैं अब जिनसे करूँ
याराना !
दुनियां है अतीक़ अपनी आँखों को खुला
रखना,
आईने के धोके में पत्थर न उठा लाना !
- अतीक़ फ़तेहपुरी
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