Mushaira_Ana Dehalvi_Jashn-E-Maujshaahi_2022
राहे दुश्वार से कितनो को निकाला तुमने,
हमने देखा है कि गिरतों को सम्हाला तुमने !
थरथराता है अना देखो अँधेरे का वजूद,
दे दिया ऐसा चराग़ों को उजाला तुमने !
- अना देहलवी
राहे दुश्वार से कितनो को निकाला तुमने,
हमने देखा है कि गिरतों को सम्हाला तुमने !
थरथराता है अना देखो अँधेरे का वजूद,
दे दिया ऐसा चराग़ों को उजाला तुमने !
- अना देहलवी
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