जुबा से कहती नहीं कुछ , बस निगाहों से बात करती हैं , उनकी बस यही बात हमें परेशा करती है ! For Ghazal Programme # +91 9140886598 -- उसके चेहरे का पड़ा अक्स जो पैमाने मे ! लग गई आग हुआ शोर मखाने मे -- कई सुर में गाता रहा और क्या क्या , तराने सुनाता रहा और क्या क्या , मेरा दिल , मेरा चैन , नींदें भी मेरी , वो मुझसे चुराता रहा और क्या क्या -- लोग दीवाने हैं बनावट के , हम कहाँ जाएँ सादगी लेकर ! -- प्रेम का पंछी बदन हाथ मे आते ही उड़ जाता है। और हवस से सफर इश्क़ का जा करके जुड़ जाता है । लोग जो निकलें देवालय को मदिरालय में मिलते हैं । ताजमहल का रस्ता अक्सर खजुराहो मुड़ जाताहै ।। पंकज अंगार परेशाँ हूँ , मगर तुम चाहो तो , मुश्किल मेरी आसाँ कर दो , मैं दिल की बात कह दूँ , और तुम शरमा के हाँ कर दो ! -- किस उम्र में आके मिले हो सनम , जब हाथों की मेहंदी बालों में लग रही है ! -- तेरी मीठी मीठी यादें भी , बड़ा कमाल करती ह