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Showing posts from September, 2023

Wadiyan Mera Daman | वादियाँ मेरा दामन | Cover & Live | Sweta Srivastava...

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वादियां मेरा दामन , रास्ते मेरी बाहें } जाओ मेरे सिवा , तुम कहाँ जाओगे }- वादियां मेरा दामन -- सजीव स्टेज गायन की कलाकार – स्वेता श्रीवास्तव संगीतकार – आर.डी. बर्मन गीतकार – मजरूह सुल्तानपुरी फिल्म –  अभिलाषा  ( 1968 ) गायक –  मोहम्मद रफ़ी , लता मंगेशकर   https://youtu.be/9Fd39xLWnGU

Radha Rani Aur Durwasha Rishi_राधा रानी और दुर्वाषा ऋषि | स्वर प्रदीप श्...

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Radha Rani Aur Durwasha Rishi_ राधा रानी और दुर्वाषा ऋषि | स्वर प्रदीप श्रीवास्तव   ऐसा दृढ विश्वास   हैं कि भगवान् भाव के भूखे होते हैं ऐसा ही एक भाव पूर्ण प्रसंग राधारानी जी और दुर्वाषा ऋषि जी के बीच का जिसे आपके लिए प्रस्तुत है जिससे आप लाभान्वित होकर प्रभु की बताई राह पर चलें ! प्रदीप श्रीवास्तव, # +91 9140886598 https://youtu.be/_NTt 3 n_mShM

Ye Bheega Hua Mausam Ek Saaf Ishara hai | Pradeep Srivastava | Lyric_Ved...

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https://youtu.be/yPhUDpZWXXo ग़ज़ल ये भीगा हुआ मौसम एक साफ़ इशारा है, मैख़ाने चलो रिन्दों साक़ी ने पुकारा है ! जन्नत का चमन ले लो, तारों के रतन ले लो, तुम सारा गगन ले लो, बस चाँद हमारा है ! - वेद प्रकाश शुक्ल ‘संजर’

ROOH-E-SHAYARI1 - PART-1

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गाइये गणपति वंदन-जय गणेश देवा | प्रदीप श्रीवास्तव | Ganesh Vandna Live b...

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https://youtu.be/IXjiCAsz-oI   कानपुर बार एसोसियेशन के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों एवं सदस्यों के द्वारा आयोजित प्रीतिभोज एवं ग़ज़ल संध्या का आयोजन किया गया जिसके मुख्य अतिथि माननीय जस्टिस श्री सिद्धार्थ जी और श्री पंकज भाटिया जी थे साथ में कानपुर नगर के जिला जज श्री प्रदीप कुमार सिंह और अन्य जज उपस्थिति थे | हम आभारी है श्री आदित्य सिंह नव निर्वाचित महामंत्री, श्री प्रमोद द्विवेदी नव निर्वाचित अध्यक्ष और समस्त कमेटी के साथ साथ अधिवक्ता श्री कपिल दीप सचान के जिन्होंने मुझे मौका दिया | प्रदीप श्रीवास्तव, अधिवक्ता, ग़ज़ल गायक एवं सचिव, कानपुर संगीत नाटक अकादमी, # +91 9140886598

SHAYARI

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जुबा से कहती नहीं कुछ ,  बस निगाहों से बात करती हैं , उनकी बस यही बात हमें परेशा करती है ! For Ghazal Programme # +91 9140886598 -- उसके चेहरे का पड़ा अक्स जो पैमाने मे  !    लग गई आग हुआ शोर मखाने मे -- कई सुर में गाता रहा और क्या क्या , तराने सुनाता रहा और क्या क्या , मेरा दिल , मेरा चैन , नींदें भी मेरी , वो मुझसे चुराता रहा और क्या क्या -- लोग दीवाने हैं बनावट के , हम कहाँ जाएँ सादगी लेकर ! -- प्रेम का पंछी बदन हाथ मे आते ही उड़ जाता है। और हवस से सफर इश्क़ का जा करके जुड़ जाता है । लोग जो निकलें देवालय को मदिरालय में मिलते हैं । ताजमहल का रस्ता अक्सर खजुराहो मुड़ जाताहै ।। पंकज अंगार परेशाँ हूँ , मगर तुम चाहो तो , मुश्किल मेरी आसाँ कर दो , मैं दिल की बात कह दूँ , और तुम शरमा के हाँ कर दो ! -- किस उम्र में आके मिले हो सनम , जब हाथों की मेहंदी बालों में लग रही है ! -- तेरी मीठी मीठी यादें भी , बड़ा कमाल करती ह