SHAYARI

जुबा से कहती नहीं कुछबस निगाहों से बात करती हैं,

उनकी बस यही बात हमें परेशा करती है !

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उसके चेहरे का पड़ा अक्स जो पैमाने मे  !

   लग गई आग हुआ शोर मखाने मे

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कई सुर में गाता रहा और क्या क्या,

तराने सुनाता रहा और क्या क्या,

मेरा दिल, मेरा चैन, नींदें भी मेरी,

वो मुझसे चुराता रहा और क्या क्या

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लोग दीवाने हैं बनावट के,

हम कहाँ जाएँ सादगी लेकर !

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प्रेम का पंछी बदन हाथ मे आते ही उड़ जाता है।

और हवस से सफर इश्क़ का जा करके जुड़ जाता है

लोग जो निकलें देवालय को मदिरालय में मिलते हैं

ताजमहल का रस्ता अक्सर खजुराहो मुड़ जाताहै ।।

पंकज अंगार

परेशाँ हूँ, मगर तुम चाहो तो, मुश्किल मेरी आसाँ कर दो,

मैं दिल की बात कह दूँ, और तुम शरमा के हाँ कर दो !

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किस उम्र में आके मिले हो सनम,

जब हाथों की मेहंदी बालों में लग रही है !

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तेरी मीठी मीठी यादें भी, बड़ा कमाल करती है,

दिन में काम नहीं करने देती, रात में तरह-तरह के सवाल करती है !

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इक मुद्दत से आरज़ू थी फुर्सतकी,

मिली भी तो इस शर्त पे कि किसी से ना मिलो !

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