मैं और मेरी तनहाई , अक्सर ये बातें करते हैं तुम होती तो कैसा होता तुम ये कहती , तुम वो कहती तुम इस बात पे हैरां होती तुम उस बात पे कितना हँसती तुम होती तो ऐसा होता , तुम होती तो वैसा होता मैं और मेरी तनहाई , अक्सर ये बातें करते हैं F ये कहाँ आ गए हम , यूँ ही साथ साथ चलते F तेरी बाहों में ऐ जानम , मेरे जिस्म-ओ-जां पिघलते – 2 ---- ये रात है या , तुम्हारी ज़ुल्फें खुली हुई है है चांदनी या तुम्हारी नज़रों से मेरी रातें धुली हुई है ये चाँद है या तुम्हारा कंगन सितारें है या तुम्हारा आँचल हवा का झौंका है , या तुम्हारे बदन की खुशबू ये पत्तियों की है सरसराहट के तुमने चुपके से कुछ कहा है ये सोचता हूँ , मैं कब से गुमसुम के जब के , मुझको को भी ये खबर है के तुम नहीं हो , कही नहीं हो मगर ये दिल है के कह रहा है तुम यहीं हो , यहीं कहीं हो ---- F तू बदन है , मैं हूँ छाया , तू ना हो तो मैं कहाँ हूँ F मुझे प्यार करनेवाले , तू जहाँ है मैं वहाँ हूँ F हमें मिलना ही था हमदम , किसी राह भी निकलते – 2 F ये कहाँ आ गए हम , यूँ ही साथ साथ चलते
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