GHAZAL - " AMNE SAMNE HO GAYE - (आमने सामने हो गए ) "

आमने सामने हो गए |
ज़ख्म फिर से हरे हो गए |
आप गिर के ना उठ पाएंगे |
हम तो गिर के खड़े हो गए ||
बेसबब दूरियाँ बढ़ गयीं |
बेवज़ह फासले हो गए ||
जिनका डर था हमें दोस्तों |
लो वही हादसे हो गए ||
है ख़बर आपने छोड़ दी |
ख़ाली सब मयकदे हो गए ||
उनके चेहरे से 'रौनक़गयी |
दूर जो आपसे हो गए ||
प्रदीप श्रीवास्तव 'रौनक़ कानपुरी'

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