SWARAJ VARADDHA AASHRM
मित्रों,
पिछले लगभग पांच वर्षों से स्वराज वृद्धा आश्रम में मैं निःशुल्क आश्रम के वृद्धों के लिए भजन गाता आ रहा था | मैंने पूर्ण निःस्वार्थ भाव से श्रीमती मंजू भाटिया को सहयोग दिया | लेकिन बहुत दुःख है कि आज स्वराज वृद्धा आश्रम का स्थापना दिवस है | मुझे गाने के लिए नहीं लेकिन आमंत्रण तो दे सकते थे मैं भी आकर कुछ न कुछ सहयोग करता | ख़ैर ये तो दुनिया का दस्तूर है की यूज़ एंड थ्रो | मुझे एक शेर याद आ रहा है :
कोई दोस्त है न रक़ीब है
ये शहर कितना अजीब है
यहाँ किस्से हम मिला करें
यहाँ कौन अपने क़रीब है
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