Ghazal - Hawaye Waqt Se ladti Hui Chataan Uhn Main - Shayar Shafiq Abdi
SAHAEB
SMRITI FOUNDATION PRESENT
SMRITI FOUNDATION PRESENT
4TH
MUSHAYRA AUR KAVI SAMMELAN
MUSHAYRA AUR KAVI SAMMELAN
GHAZAL
– Hawa-E-Waqat Se Ladti Hui Chattan Hun Main.
– Hawa-E-Waqat Se Ladti Hui Chattan Hun Main.
SHAYAR
– Shafeeq Abdi
– Shafeeq Abdi
हवाए वक़्त से लड़ती
हुई चटान हूँ मैं !
हुई चटान हूँ मैं !
ज़मीन वालों को
शक है कि आसमान हूँ मैं !!
शक है कि आसमान हूँ मैं !!
UPLOAD
ON 17/06/2019, SHAYRON KI MEHFIL
ON 17/06/2019, SHAYRON KI MEHFIL
हवाए वक़्त से लड़ती
हुई चटान हूँ मैं !
हुई चटान हूँ मैं !
ज़मीन वालों को
शक है कि आसमान हूँ मैं !!
शक है कि आसमान हूँ मैं !!
कोई लिखे तो अदालत एक फसाना
है !
है !
कोई पढे तो मोहब्बत कि दास्तान
हूँ मैं !!
हूँ मैं !!
परखने वालों कि
नज़रों पे मुनहसिर सब कुछ !
नज़रों पे मुनहसिर सब कुछ !
कभी यक़ीन कि
मंज़िल कभी
गुमान हूँ मैं !!
मंज़िल कभी
गुमान हूँ मैं !!
~
शफ़ीक़ आब्दि
शफ़ीक़ आब्दि
= = = =
ग़ज़ल
तख़्त चाहा न कभी
मसनदे शाही चाहिए !
मसनदे शाही चाहिए !
हमने दुनिया से फ़क़त ख़ैर
निगही चाही !!
निगही चाही !!
झूठ के बल पे कोई वक़्त का फ़रजद हुआ !
हमने सच बोल के बस अपनी तबाही चाही !!
क्या कभी तुमसे मोहब्बत नहीं चाही हमने !
उसकी आवाज़ ये आई
कि हाँ चाही चाही चाही !!
कि हाँ चाही चाही चाही !!
~
शफ़ीक़ आब्दि
शफ़ीक़ आब्दि
Comments
Post a Comment