शायरी - एक कोशिश
एक कोशिश भी नहीं की उसने मुझे रोकने की !
शायद उसे मेरे चले जाने का ही इंतज़ार था !!
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सोच कर यही मंदिर मस्जिद भी दंग है
हमें खबर ही नहीं कि हमारे बीच जंग है।
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चलो अब जाने भी दो क्या करेंगे दास्तां सुना के !
खामोशियों तुम समझते नहीं बयां हम से होगा नहीं !!
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कोई फूलों से सीखे सरफ़राज़े ज़िन्दगी होना !
वहीं से फिर महकते हैं जहां से ख़ाक होते हैं !!
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