SHAYARI

कभी दूरी इतनी ना बढ़ाएं कि,

खुला हो दरवाजा फिर भी खटखटाना पड़े !

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चिंता इतनी करो कि काम हो जाए,

इतनी नहीं कि जिंदगी तमाम हो जाए !

मौत की मर्ज़ी वो जब चाहे जाए,

सांसें लेना अपनी ज़िम्मेदारी है !

एक तो कातिल सी नजर,

ऊपर से काजल का कहर !

किसी की नजर में अच्छे थे,किसी की नजर में बुरे थे,

 हकीकत में जो जैसा था,हम उसकी नजर में वैसे थे,

नजरनमाजनजरिया सब कुछ बदल गया,

एक रोज इश्क हुआ और मेरा खुदा बदल गया !

अब तो ये आलम है के तन्हाई से हम तंग आकर,

खुद ही दरवाज़े की ज़ंजीर हिला देते हैं !

सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ,

ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !

इंतजार, इज़हार, इबादत सब तो किया मैंने,

कैसे बताऊं कि तुमसे इश्क़ कितना किया मैंने

ये इश्क़ और मोहब्बत की रवायत भी अजीब है,

जिसको पाया नहीं उसको खोना भी नहीं चाहते !








 










 

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