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Showing posts from 2017
YE DAULAT BHI LELO WITH NEW LYRIC & COVER SINGING BY PRADEEP SRIVASTAVA
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A TRIBUTE TO SHASHI KAPOOR - JMD CHANNEL KANPUR BY PRADEEP SRIVASTAVA
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MEHFIL-E-GHAZAL
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दोस्तों , कल 27.11.2017 शाम पी. रोड निवासी श्री ए. के. जैन की पुत्री सुश्री सोमा जैन की रिंग सरेमोनी के अवसर पर होटल रॉयल क्लिफ में शानदार गीत संगीत की महफ़िल यानी की " लेडी संगीत " का आयोजन किया गया था | हमारी पूरी टीम के द्वारा संगीत की जो महफ़िल सजी वो फगवाड़ा तक गूँज गई | और हाँ सोमा जैन साहेब की सबसे छोटी पुत्री है | और मैं भाग्यशाली हूँ कि इनकी चारो बड़ी बेटियों के विवाह के अवसर पर मेरा ही संगीत का कार्यक्रम हुआ | इसे कहते हैं मोहब्बत अब न कोई जंग हारा कीजिये ।। अब बुलन्दी पर सितारा कीजिये । चाँद को ला दूं जमी पर आज ही । आप मुझको इक इशारा कीजिये ।। ~ NAVEEN MANI
ग़ज़ल
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तपन को आजमाना चाहता है । समंदर सूख जाना चाहता है ।। तमन्ना वस्ल की लेकर फिजा में। कोई मुमकिन बहाना चाहता है ।। जमीं की तिश्नगी को देखकर अब यहाँ बादल ठिकाना चाहता है ।। तसव्वुर में तेरे मैंने लिखी थी। ग़ज़ल जो गुनगुनाना चाहता है ।। मेरी चाहत मिटा दे शौक से तू । तुझे सारा ज़माना चाहता है ।। मेरी फ़ुरक़त पे है बेचैन सा वो । मुझे जो भूल जाना चाहता है ।। चुभा देता है ख़ंजर पीठ में जो । वही मरहम लगाना चाहता है ।। अदब से दूर जाता एक झोंका । कोई आँचल उड़ाना चाहता है ।। दिखा देना हमारे ज़ख्म उसको । वो हम पर मुस्कुराना चाहता है ।। हवा का रुख पलट जाने से पहले वो मेरा घर जलाना चाहता है ।। अना के साथ वो हुस्नो अदा से । नया सिक्का चलाना चाहता है ~नवीन मणि त्रिपाठी ●●●●
मुशायरा
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19 नवंबर को कानपुर में होने वाले मुशायरे में शिरकत करने वाले कवि/शायर स्थान: महिला महाबिद्यालय, किदवई नगर, कानपुर: आदरणीय नाज़ प्रतापगढ़ी साहब कार्यक्रम के अध्यक्ष आदरणीय सुरेंद्र चतुर्वेदी जी मुख्य अतिथि 1 सत्य प्रकाश शर्मा, कानपुर 2 आनंद पांडेय तन्हा, कानपुर 3 नवीन मणि त्रिपाठी, कानपुर 4 शेषधर तिवारी, इलाहाबाद 5 मेजर आदित्य त्रिपाठी, औरैया 6 राजमूर्ति सिंह 'सौरभ', 7 चन्द्र शेखर वर्मा, लखनऊ 8 राकेश दिलबर सुल्तानपुरी 9 प्रणव मिश्र 'तेजस', इलाहाबाद 10 वेद प्रकाश शुक्ल 'संजर', कानपुर 11 श्रीमती कल्पना अग्रवाल, लखनऊ 12 विनीत 'आशना' , चंदौसी 13 रोहिताश्व मिश्रा, फर्रुखाबाद 14 अनुज नागेंद्र, प्रतापगढ़ 15 गीता विश्वकर्मा 'नेह' छ. ग. 16 निज़ामुद्दीन *राही* छ गढ़ 17 चंद्रभूषण मिश्रा, 'गाफ़िल', बस्ती 18 प्रदीप श्रीवास्तव 'रौनक', कानपुर 19 कुँवर कुसुमेश, लखनऊ 20 श्रीमती चाँदनी पांडेय, कानपुर 21 श्रीमती अलका मिश्रा, कानपुर 22 अनुज पांडेय 'अब्र', लखनऊ 23 उदय तिवारी, लखनऊ 24 पंकज जैन, ललितपुर 25 विनोद निर्भय,
तुलसीदास जी ने बाबरी मस्जिद का उल्लेख किया
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××पढ़ें तुलसीदास जी ने भी बाबरी मस्जिद का उल्लेख किया है×× आम तौर पर हिंदुस्तान में ऐसे परिस्थितियां कई बार उत्पन्न हुई जब राम -मंदिर और बाबरी मस्जिद (ढांचा ) एक विचार-विमर्श का मुद्दा बना और कई विद्वानों ने चाहे वो इस पक्ष के हो या उस पक्ष के अपने विचार रखे . कई बार तुलसीदास रचित रामचरित मानस पर भी सवाल खड़े किये गए की अगर बाबर ने राम -मंदिर का विध्वंश किया तो तुलसीदास जी ने इस घटना का जिक्र क्यों नही किया . सच ये है कि कई लोग तुलसीदास जी की रचनाओं से अनभिज्ञ है और अज्ञानतावश ऐसी बातें करते हैं . वस्तुतः रामचरित्रमानस के अलावा तुलसीदास जी ने कई अन्य ग्रंथो की भी रचना की है . तुलसीदास जी ने तुलसी शतक में इस घंटना का विस्तार से विवरण दिया है . हमारे वामपंथी विचारको तथा इतिहासकारो ने ये भ्रम की स्थति उतपन्न की,कि रामचरितमानस में ऐसी कोई घटना का वर्णन नही है . श्री नित्यानंद मिश्रा ने जिज्ञाशु के एक पत्र व्यवहार में "तुलसी दोहा शतक " का अर्थ इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया है | हमनें भी उन दोहों के अर्थो को आप तक पहुँचाने का प्रयास किया है | प्रत्येक दोहे का अर्थ उनके नीचे
Tips on Heart Attack
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*हृदयाघात तथा गर्म पानी पीना* यह भोजन के बाद गर्म पानी पीने के बारे में ही नहीं हृदयाघात के बारे में भी एक अच्छा लेख है। चीनी और जापानी अपने भोजन के बाद गर्म चाय पीते हैं, ठंडा पानी नहीं। अब हमें भी उनकी यह आदत अपना लेनी चाहिए। जो लोग भोजन के बाद ठंडा पानी पीना पसन्द करते हैं यह लेख उनके लिए ही है। भोजन के साथ कोई ठंडा पेय या पानी पीना बहुत हानिकारक है क्योंकि ठंडा पानी आपके भोजन के तैलीय पदार्थों को जो आपने अभी अभी खाये हैं ठोस रूप में बदल देता है। इससे पाचन बहुत धीमा हो जाता है। जब यह अम्ल के साथ क्रिया करता है तो यह टूट जाता है और जल्दी ही यह ठोस भोजन से भी अधिक तेज़ी से आँतों द्वारा सोख लिया जाता है। यह आँतों में एकत्र हो जाता है। फिर जल्दी ही यह चरबी में बदल जाता है और कैंसर के पैदा होने का कारण बनता है। इसलिए सबसे अच्छा यह है कि भोजन के बाद गर्म सूप या गुनगुना पानी पिया जाये। एक गिलास गुनगुना पानी सोने से ठीक पहले भी पीना चाहिए। इससे खून के थक्के नहीं बनेंगे और आप हृदयाघात से बचे रहेंगे।
Kya Aap jaante hain
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आपने किसी ऐसे रेलवे स्टेशन के बारे में सुना है कि जिसमें ट्रेन का इंजन एक राज्य में तो ट्रेन के गार्ड का डिब्बा दूसरे राज्य में खड़ा होता है। हो सकता आपको यह पढ़कर अटपटा लगता हो। सोच रहे हों कि भला ऐसे कैसे हो सकता है ××लेकिन यह सच है×× आइए जानें इस अनोखे रेलवे स्टेशन के बारे में... दो राज्यों के बॉर्डर पर इस अनोखे रेलवे स्टेशन का नाम भवानी मंडी रेलवे स्टेशन है। यह अकेला रेलवे स्टेशन राजस्थान और मध्यप्रदेश दोनों ही राज्यों के अंतर्गत आता है। यहां रेलवे स्टेशन के एक छोर पर राजस्थान का बोर्ड लगा है और दूसरे छोर पर मध्य प्रदेश राज्य का बोर्ड लगा है। भवानी मंडी रेलवे स्टेशन से 350 से अधिक स्टेशन सीधे जुड़े हुए हैं। इतना ही नही यहां हर दिन करीब 8 से 10 हजार यात्रियों का आगमन होता है। इस रेलवे स्टेशन की खास बात तो यहां का बुकिंग काउंटर मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में है तो स्टेशन में एंट्री का रास्ता और वेटिंग रूम, राजस्थान के झालावाड़ जिले में है। इतना ही नहीं सबसे मजेदार बात तो यह है कि यहां पर टिकट बांटने वाला व्यक्ति मध्यप्रदेश में बैठता है और टिकट
3RD RASHTRIYA KAVI SAMMELAN-INAUGURATION
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हुज़ूर साहेब की याद में स्थापित साहेब स्मृति फाउंडेशन द्वारा आयोजित तीसरे राष्ट्रिय कवि सम्मेलन और मुशायरे के मुबारक़ पर श्री अजीत तिवारी, श्री आदित्य पाण्डेय, प्रदीप श्रीवास्तव और अन्य पूजन अर्चन करते हुए | आरज़ू है यही मेरे दिल की इस तरह उनको दिल में बसाये ! कि चमन ज़िंदगी का हरा हो फूल बनकर कली मुस्कराये !! ऎसी नज़रें करम है कि बंदा माजराए करम क्या सुनाये ! यानी मेरे ख़ुदा वो ख़ुदा है जान जिसपर निछावर हो जाये !! हुस्न ख़ुद अपनी सूरत में आकर चार जानिब तजल्ली दिखाये ! देख ले जो नज़र भर के उसको याद जो कुछ हो सब भूल जाये !! कि यही जब भी कुछ इल्तिजा की साक़ी से बस यही हमने माँगा ! ज़िंदगी मैकदे ही में गुज़रे उम्र सारी यहीं बीत जाये !! काफ़िला दिल का था जिसके आगे जाल दुनिया ने कितने बिछाये ! हम मगर धुन में अपनी जो निकले तो क़दम फिर कहीं रुक न पाये !! ~ HUZUR SAHEB
GHAZAL - तेज़ हो जाता है ख़ुशबू का सफ़र, शाम के बाद !
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तेज़ हो जाता है ख़ुशबू का सफ़र, शाम के बाद ! फूल इस शहर में खिलते है मगर, शाम की बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर तीसरे राष्ट्रिय कवि सम्मेलन और मुशायरे के मुबारक़ पर श्री अजीत तिवारी, श्री आदित्य पाण्डेय, प्रदीप श्रीवास्तव और अन्य पूजन अर्चन करते हुए | उससे दरियाफ़्त न करना कभी दिन के हालात !! सुबह का भूला जो लौट आया हो घर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर दिन तेरे हिज्र में कट जाता है जैसे तैसे ! मुझसे रहती है ख़फ़ा मेरी नज़र, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर क़द से बढ़ जाए जो साया, तो बुरा लगता है ! अपना सूरज वो उठा लेता है हर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर तुम ना कर पाओगे, अंदाज़ा तबाही का मेरी ! तुमने देखा ही नहीं कोई खंडर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर मेरे बारे में कोई कुछ भी कहे सब मंज़ूर ! मुझको रहती ही नहीं अपनी ख़बर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर ये ही मिलने का समय भी है, बिछड़ने का भी ! मुझको लगता है बहुत अपने से डर, शाम के बाद !! ~ कृष्ण बिहारी नूर