3RD RASHTRIYA KAVI SAMMELAN-INAUGURATION

हुज़ूर साहेब की याद में स्थापित साहेब स्मृति फाउंडेशन द्वारा आयोजित तीसरे राष्ट्रिय कवि सम्मेलन और मुशायरे के मुबारक़ पर श्री अजीत तिवारी, श्री आदित्य पाण्डेय, प्रदीप श्रीवास्तव और अन्य पूजन अर्चन करते हुए |   
आरज़ू है यही मेरे दिल की इस तरह उनको दिल में बसाये !
कि चमन ज़िंदगी का हरा हो फूल बनकर कली मुस्कराये !!
ऎसी नज़रें करम है कि बंदा माजराए  करम क्या सुनाये !
यानी मेरे ख़ुदा वो ख़ुदा है जान जिसपर निछावर हो जाये !!
हुस्न ख़ुद अपनी सूरत में आकर चार जानिब तजल्ली दिखाये !
देख ले जो नज़र भर के उसको याद जो कुछ हो सब भूल जाये !!
कि यही जब भी कुछ इल्तिजा की साक़ी से बस यही हमने माँगा !
ज़िंदगी मैकदे ही में गुज़रे उम्र सारी  यहीं बीत जाये !! 
काफ़िला दिल का था जिसके आगे जाल दुनिया ने कितने बिछाये !
हम मगर धुन में अपनी जो निकले तो क़दम फिर कहीं रुक न पाये !!
 ~ HUZUR SAHEB 










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