GHAZAL - तेज़ हो जाता है ख़ुशबू का सफ़र, शाम के बाद !
तेज़ हो जाता है ख़ुशबू का
सफ़र, शाम के बाद !
फूल इस शहर में खिलते है
मगर, शाम की बाद !!
~ कृष्ण बिहारी नूर
तीसरे राष्ट्रिय कवि
सम्मेलन और मुशायरे के मुबारक़ पर श्री अजीत तिवारी, श्री आदित्य पाण्डेय, प्रदीप
श्रीवास्तव और अन्य पूजन अर्चन करते हुए |
उससे दरियाफ़्त न करना कभी
दिन के हालात !!
सुबह का भूला जो लौट आया हो
घर, शाम के बाद !!
~ कृष्ण बिहारी नूर
दिन तेरे हिज्र में कट जाता
है जैसे तैसे !
मुझसे रहती है ख़फ़ा मेरी
नज़र, शाम के बाद !!
~ कृष्ण बिहारी नूर
क़द से बढ़ जाए जो साया, तो
बुरा लगता है !
अपना सूरज वो उठा लेता है
हर, शाम के बाद !!
~ कृष्ण बिहारी नूर
तुम ना कर पाओगे, अंदाज़ा तबाही
का मेरी !
तुमने देखा ही नहीं कोई
खंडर, शाम के बाद !!
~ कृष्ण बिहारी नूर
मेरे बारे में कोई कुछ भी
कहे सब मंज़ूर !
मुझको रहती ही नहीं अपनी
ख़बर, शाम के बाद !!
~ कृष्ण बिहारी नूर
ये ही मिलने का समय भी है,
बिछड़ने का भी !
मुझको लगता है बहुत अपने से
डर, शाम के बाद !!
~ कृष्ण बिहारी नूर
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