Shayri

जो सच्चा है वही बदनाम क्यों है !
मुहब्बत का यही अन्जाम क्यों है !!
तुम्हारा मैं अगर कुछ भी नहीं हूँ !
तुम्हारे लब प मेरा नाम क्यों है !!
-नाज़" प्रतापगढ़ी

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