शायर अतीक फतेहपुरी


कार्यक्रम के शुरुआत में हुजुर साहेब के पसंदीदा नौजवान शायर जनाब अतीक फतेहपुरी ने हुजुर साहेब को ज़हन में रखते हुए इस ग़ज़ल से शुरुआत की और मौजूद सामाइन से भरपूर दाद पाई |
   
हुस्न बेनक़ाब हो गया, ईश्क़ क़ामयाब हो गया !
रूह को सुकून मिल गया, काम लाजवाब हो गया !!

ठोकरों पे था हर एक तीर, जिंदगी की रहगुज़ार पर !
जब तेरी निगाह पढ़ गई, ज़र्रा आफताब हो गया !!

रौशनी से दूर था ये दिल, चांदनी से दूर था ये दिल !
नक़्शे पा-ए-यार मिल गया, सजदा कामयाब हो गया !!

खत्म होंगी कब तलक मियाद, ये अदा बताइए ज़रा !
मेरे दिल में अब तो आपका, ज़ुल्म बेहिसाब हो गया !!

मैकशी का दौर था उधर, तश्नगी का जोर था ईधर !
उनके दर पे जा के ए अतीक, मैं भी फैज़े यार हो गया !!

~ अतीक़  फतेहपुरी   


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