मुशायरा

दोस्तों,
हुजुर साहेब के स्मृति में तीसरे राष्ट्रीय कवि सम्मलेन और मुशायरे का बहुत ही शानदार आगाज़ इस नज्म के साथ हुआ जिसे बंगलौर से आये हुए आई पी एस शायर जनाब शफीक आब्दी ने पेश किया :
   
ना पूछो आप हमसे के कहाँ मंज़ूर आलम हैं !
यहाँ मंज़ूर आलम हैं, वहाँ मंज़ूर आलम हैं !!
...............
किसी आशिक़ के होटों पे अयां मंज़ूर आलम हैं !
किसी मजज़ूब के दिल में निहाँ मंज़ूर आलम हैं !!
...............
हर एक मज़हब का पैरोकार ये एलान करता है !!
कि बेशक नाज़िशे हिन्दुसतां मंज़ूर आलाम हैं !!
...............
मेरे दिल ने कहा दिल से हर मुश्किल के लम्हे में !
तेरे और साहिबा के दरमियाँ मंज़ूर आलम हैं !!
...............
ये वो दर है यहाँ इंसानियत का दर्द मिलता है !
दिलों पर एहले दिल हुक्मरां मंज़ूर आलम है !!
...............

 ~ शफीक़ आब्दी




 

Comments

Popular posts from this blog

SRI YOGI ADITYANATH- CHIEF MINISTER OF UTTAR PRADESH

Kavi Gopal Ji Shukla_Yaad Rahey Patni Do Dhari Talwar Hai_याद रहे पत्नी ...

गुरुदेव मेट्रो स्टेशन,कानपुर से कानपुर यूनिवर्सिटी तक सड़क का बद्द्तर हाल...