SHAYRI

शुभ रात्रि,
मेरा घर जल गया, चलो अच्छा हुआ !
बस्ती वालों का कुछ तो भला हो गया !!
एक ज़माना लगा ढूंढने में जिसे !
वो मिला और मिल के जुदा हो गया !! 
संकलन:
प्रदीप श्रीवास्तव 

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