MUJHPE TANHAAI ME EHSAAN YE KAR JAAYENGE - D.C.PANDEY " NAZAR KANPURI"


MUJHPE TANHAAI ME EHSAAN YE KAR JAAYENGE

मुझसे तन्हाई में एहसान ये कर जाएंगे !
क्या ख़बर  थी कि सनम हद से गुज़र जाएंगे !

बेसबब आप न परवानो को रुसवा कीजे !
शमा होगी जहां, परवाने उधर जाएंगे !!

रुख़ से पर्दा न हटाया तो क़यामत होगी !
जो तेरे चाहने वाले हैं वो मर जाएंगे !!

अपने दामन में इसे रख ले ये हैं आंसू मेरे !
मेरी आँखों से जो टपकेंगे बिखर जाएंगे !!

अहले दिल के लिए आईना है चेहरा तेरा !
तुझको देखिंगे बहार हाल संवर जाएंगे !!

तेरी दहलीज़ ज्कपे ये सर है न ठुकरा इसको !
तेरे दर से जो उठेंगे तो किधर जाएंगे !!
~ डी. सी. पांडेय  "नज़र कानपुरी"

Comments

  1. This Ghazal was composed by me after inspiration of English Poet P B Shelly

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