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Showing posts from January, 2019

GHAZAL - MAHTAB HAIDER

हमे भी अग्नि मे दिल को दहन करना नहीं आता ! उन्हे भी कामनाओं का दमन करना नहीं आता !! न जाने किस तरह सहरा को वो गुलशन बनाते हैं ! हमे तो अपना घर आँगन चमन करना नहीं आता !! शायर - महताब हैदर PRADEEP SRIVASTAVA, # +91 9984555545 pradeep.ghazal@gmail.com https://youtu.be/HrRz8UttF0s

Ghazal

जी चाहें फिर आज हमारा यार तुम्हारे हो जाएं कश्ती बनके बह जाएं और दूर किनारे हो जाएं। शुक्र अता कर दो अपना जो खामोशी से हैं बैठे शेर अगर जो अर्ज़ करें तो पागल सारे हो जाएं। जिनके ख्वाबों में आने की हसरत लेकर सोते हैं वो जो मिलने आ जाएं तो वारे न्यारे हो जाएं। उनके घर के चार दरीचों से हम मिन्नत करते हैं कम से कम इतना कर दो हम उनको प्यारे हो जाएं। बिन उनके जीना मुश्किल अब होता जाता दोस्त मिरे यार सिफारिश ये कर दो वो आज हमारे हो जाएं। सुब्ह से' इक आस लिए ये *पाठक* था छज्जे पर बैठा बस एक दफ़ा छत पर आएं वो और इशारे हो जाएं। ---आनंद पाठक--- बरेली (उत्तर प्रदेश) -09557606700 -07017654822

SHAYARI - FIR AAJ KOI GHAZAL

फिर आज कोई गज़ल तेरे नाम ना हो जाए ! आज कही लिखते लिखते शाम ना हो जाए !! कर रहे है इंतज़ार तेरे इज़हार - ए - मोहब्बत का ! इसी इंतज़ार मे ज़िंदगी तमाम ना हो जाए !!

Aisi Lagi Lagan Cover By Pradeep Srivastava on 25.11.2018

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MEHFIL-E-GHAZAL ON 27/01/2019 AT UNNAO

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कल दिनांक २७ जनवरी को उन्नाव में उत्कर्ष पांडे के विवाह के अवसर पर शानदार संगीत संध्या हुई जिसमे गीत , ग़ज़ल और फ़िल्मी नगमो से इस कार्यक्रम में चार चाँद लग गए | श्रेय मेरी टीम को जाता है जिसमे सुमन सिंह की गायकी, गौरव मिश्रा का की बोर्ड, मनोज तिवारी का तबला और आशीष ढोले का पैड की संगत सराहनीय रही | साउंड की ज़िम्मेदारी मीनू ने बखूबी निभाई | CONTACT FOR PROGRAMME PRADEEP SRIVASTAVA, 9984555545 www.pradeepsrivastava.in

PATHAR KE SANAM 1967 – RAFI

PATHAR KE SANAM 1967 – RAFI पत्थर के सनम ss, तुझे हमने ss मोहब्बत का s खुदा जाना -2 बड़ी भूल हुयी , अरे हम ने , ये क्या समझा , ये क्या जाना पत्थर के सनम ss, ---------- चेहरा तेरा , दिल में लिए , चलते रहे अंगारों पे तू हो कही , तू हो कही , सजदे किये , हमने तेरे रुखसारो के हमसा ना हो ss, कोई दी s वा s ना s पत्थर के सनम , तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना पत्थर के सनम ss, ---------- सोचा था ये , बढ़ जायेगी , तनहईयाँ जब रातों की रास्ता हमे – 2   दिखलाएगी , शम्मे वफ़ा उन हाथों की ठोकर लगी ss, तब पहचाना s पत्थर के सनम , तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना पत्थर के सनम ss, ---------- ऐ काश के , होती खबर , तूने किसे ठुकराया हैं शीशा नहीं - 2, सागर नहीं , मन्दिर सा एक दिल ढाया हैं ता आसमां ,   हैं वीराना पत्थर के सनम , तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना बड़ी भूल हुयी , अरे हम ने , ये क्या समझा , ये क्या जाना पत्थर के सनम ss, ---------- Music – Laxmikant Pyare lal Lyric – Mazrooh Sultanpuri https://youtu.be/Ij20-IEUTjg

Sajanwa Bairi Ho Hagye Hamar cover by Pradeep Srivastava , Ghazal Singer

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GST लागू होने से कारोबार करना कितना हुआ आसान, जानिए भोपाल के कारोबारी ग...

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GHAZAL - AAPKO DEKH KAR DEKHTA RAH GAYA - COVER & LIVE - PRADEEP SRIVASRAVA

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MEHFIL-E-GHAZAL ON 16.01.2019

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कुछ सोच के शम्मा पे परवाना जला होगा ! शायद इसी जलने मे, जीने का मज़ा होगा !! आज श्रीमती मंजू अवस्थी, प्रोफेसर, डी॰ बी॰ एस॰कालेज के पुत्र चि॰ अंकित अवस्थी के तिलक के अवसर पर सजी महफिल मे गूँजती स्वरों की लहरियाँ |   कुछ सोच के शम्मा पे परवाना जला होगा ! शायद इसी जलने मे, जीने का मज़ा होगा !! आज श्रीमती मंजू अवस्थी, प्रोफेसर, डी॰ बी॰ एस॰कालेज के पुत्र चि॰ अंकित अवस्थी के तिलक के अवसर पर सजी महफिल मे गूँजती स्वरों की लहरियाँ |