GHAZAL - MAHTAB HAIDER
हमे भी अग्नि मे दिल को दहन करना नहीं आता !
उन्हे भी कामनाओं का दमन करना नहीं आता !!
न जाने किस तरह सहरा को वो गुलशन बनाते हैं !
हमे तो अपना घर आँगन चमन करना नहीं आता !!
शायर -
महताब हैदर
PRADEEP SRIVASTAVA,
# +91 9984555545
pradeep.ghazal@gmail.com
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