मुशायरा - निकले चिलमन से वो एक उजाला हुआ - प्रदीप श्रीवास्तव "रौनक़ कानप...
निकले चिलमन से वो एक उजाला हुआ, और फिर उनकी सूरत नज़र आ गई |
हमने चाहा था महफ़िल में ऐसा न हो, क्या करें आँख से आँख टकरा गई ||
शायर- रौनक़ कानपुरी
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