Kavita - Kante Bana Rahe - कांटे बना रहे कोई गुल बना रहे ! - Swyam Sriv...



कांटे बना रहे कोई
गुल बना रहे !
कुछ लोग कहीं काग
को बुलबुल बना रहे !
तुम रास्तों को
खाई में तब्दील कर रहे !
हम लोग उन्ही
खाइयों पे पुल बना रहे !!
~
स्वयं श्रीवास्तव
( उन्नाव )

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