Khwab Ko Jab Palkon Par ख़्वाब को जब पलकों पर ALKA MISHRA
ख्वाब को जब पलकों पर ढोना पड़ता है,
तब जागी आँखों से सोना पड़ता है !
अच्छी तो है उसको पाने की चाहत,
लेकिन इसमें ख़ुद को खोना पड़ता है !
मुर्शिद से कुछ पाना हो तो फिर हमको,
बिल्कुल बच्चे जैसा होना पड़ता है !
- अलका मिश्रा
https://youtu.be/Ssi3SVAfDRo
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