ROOH-E-SHAYARI_24-11-2022
किसी
के साथ हँसते-हँसते उतने ही हक से रूठना भी आना चाहिए !
अपनो
की आँख का पानी धीरे से पोंछना आना चाहिए !!
मेहनत
इतनी करो कि गरीबी ढल जाए और !
मुस्कान
ऐसी रखो कि दुश्मन जल जाए !!
शब्दकोश
में मिलता नहीं अर्थ !
इंसान
को समझने में इंसान ही है असमर्थ !!
सोचकर
यही मंदिर.मस्जिद भी दंग हैं .!
हमे
खबर भी नहीं और हमारी ही जंग है !!
मीठी
बातें ना कर ए नादान परिंदें !
इंसान
सुन लेगा तो.पिंजरा ले जाएगा !!
बस
थोड़ा सा और ठहर जाओ !
शोर
भी सुनाई देगा और नाम भी !!
आप समझें
तो मेरी ख़ामोशी,
आपकी गुफ़्तगू
पे भारी है !
- असद अजमेरी
किस
मुँह से इल्ज़ाम लगाएं दरिया की बौछारों पर
!
हमने
ख़ुद तस्वीर बनायी मिट्टी की दीवारों पर !!
-कैसर-उल-ज़ाफ़री
बे
परदा आप छत पे न जाएं मेरे हुज़ूर
चेहरा
उतर न जाये कहीं
माहताब का
बस इस
लिए किसी से मेरी दुश्मनी नहीं
दुश्मन
नहीं मिला मुझे मेरे हिसाब का
- अहमद अज़ीज़
भारी
मतों से मुझको जिताने कि बात थी ।
फिर
यूँ हुआ के मेरी जमानत नहीं
बची ।।
- आशिक़ मंज़र
# +91 9140886598
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