SHAYARI
गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन,
ऐसा लगा बसर हुए जन्नत में चार दिन !
जब तक जिए निभाएँगे हम उन से दोस्ती,
अपने रहे जो दोस्त मुसीबत में चार दिन !!
-ए जी जोश
थकना भी लाज़मी था कुछ काम करते करते !
कुछ और थक गया हूँ आराम करते करते !!
- ज़फर इक़बाल
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