कभी मैखाने तक जाते हैं हम
कभी मैखाने तक जाते हैं हम - २ और कम भी पीते हैं }-2
घटा जुल्फों की छा जाए तो बे मौसम भी पीते हैं
कभी मैखाने तक जाते हैं हम और कम भी पीते हैं
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हम ऐसे रिंद जो अक्सर महिनो तक नहीं पीते - 2
अगर पीने पे आ जाए तो - 2 फिर पै हम भी पीते हैं
घटा जुल्फों की छा जाए तो बे मौसम भी पीते हैं
कभी मैखाने तक जाते हैं हम और कम भी पीते हैं
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कोई अपनी तरह मैखाने में पीकर तो दिखाये - 2
के हम मय ही नहीं पीते हैं - 2 अश्क़-ए-गम भी पीते हैं
घटा जुल्फों की छा जाए तो बे मौसम भी पीते हैं
कभी मैखाने तक जाते हैं हम और कम भी पीते हैं
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हमारी प्यास का सबके अलग अंदाज़ है राशिद - 2
कभी दरिया को ठुकराते है - 2 कभी शबनम भी पीते है
कभी मैखाने तक जाते हैं हम और कम भी पीते हैं
घटा जुल्फों की छा जाए तो बे मौसम भी पीते हैं
कभी मैखाने तक जाते हैं हम और कम भी पीते हैं
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- मुमताज़ राशिद
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