SHAYARI-20/02/2023

लफ़्ज़ों को बरतने का

सलीका ज़रूरी है गुफ़्तगू में,

गुलाब अगर कायदे से पेश न हो

तो काँटे चुभ जाते हैं

-संजय सक्सेना

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नजरअंदाज करने वाले भी याद करेंगे !

जरा "वक्त" और "हालात" तो बदलने दो !!

बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत है मगर !

दूसरों को रोंदने का हुनर कहाँ से लाऊँ !! 

भीड़ काफी हुआ करती थी महफ़िल में मेरी..

 फिर मैं सचबोलता गया और लोग उठते चले गए !

जिन्दगी मे उस लेवल तक पहुंचो !

जहां लोग तुम्हारी कदर करें और तुम्हे खोने से डरें !!

(With Charanjeet Singh, K.Bord Artist)

रहने दे अभी गुंजाइशें, जरा अपनी बेरुखी मे तुम,

इतना न तोड़ मुझको, कि, किसी और से जुड़ जाऊँ,

(Call for Programme #+91 9140886598)

पाप निःसंदेह बुरा है लेकिन !

उससे भी बुरा है पुण्य का अहंकार !! 

सबको प्यार देने की आदत है हमें !

अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमें !

कितना भी गहरा जख़्म दे कोई !

 उतना ही ज्यादा मुस्कुरानें की आदत है हमें !!

सादगी की कोई तालीम नही  जो किताबो से हासिल हो !

ये वो संस्कार है जो किरदार से छलकता है !!

(Call for Programme #+91 9140886598)



  

हार जीत तो सबकी ज़िन्दगी का एक हिस्सा है !

जिन्दगी के हर खेल में बस वफादारी करते रहो !!

 

(Call for Programme #+91 9140886598)

    





 



 


    




 

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