मैं
जितना लोगों को समझता गया !
अकेलापन और भी अच्छा लगता गया !!
गुनाह
जब करना तो, हिसाब
रखना !
लौटकर आयेगा सब बस इतना ख्याल रखना !!
एक
तुम्हें ही हम थोड़ी तलब से देखते हैं.,
बाकी
सब को हम बड़े अदब से देखते है.!
सदक़े
का ये असर है कि हर हादसे के वक़्त,
वो साथ
मेरे आ गया
दीवार की तरह !
-मोहम्मद_अली_साहिल
( सदक़ा- दान )
मुझको
किसी के हाथ से छूने नहीं दिया !
बचपन
से जवानी तलक रोने नहीं दिया !!
कुर्बान
जाऊँ मैं मेरी बेटी की बातों पर !
बेटी ने मेरा सर कभी झुकने नहीं दिया !!
आँखे
तुम्हारी कह रहीं हैं इश्क की दास्तां,
पर
होठों में न जाने इन्कार क्यूँ है।
राकेश नमित
शरारत
शोखियाँ ,अल्हङपन
, मस्ती,
ना
जाने कितनी ख़ूबियाँ है तेरी आँखों में !
सपनों
की रात बीती हुआ मधुर सवेरा है,
सूरज
की किरणों ने दूर किया अन्धेरा है,
कल
क्या था,कल
क्या होगा, क्यों
सोचना,
आज
में जियो आज पर ही तो वश तेरा है।
- राकेश नमित
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