SHAYARI 21-12-2023

कोशिश करता हूँ कि अंधेरे खत्म हो लेकिन !

कहीं जुगनू नही मिलता कहीं चाँद अधूराहै !!

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सारे ही काम ज़रूरी थे ज़िन्दगी में और होते भी गए !

एक रब तेरी इबादत ही थी, जो हर बार टलती गयी !!

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जब लगें ज़ख़्म तो क़ातिल को दुआ दी जाए !

है यही रस्म तो ये रस्म उठा दी जाए !!

कम नहीं नश्शे में जाड़े की गुलाबी रातें !

और अगर तेरी जवानी भी मिला दी जाए !!

 

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