बेटियां
*♥️♥️बेटियां*♥️♥️ आज मन हुआ कि उन *भाग्यशाली पापा* और *मम्मी* को *बधाई* दी जाए जिन्होंने कम से कम एक *बेटी* को दो कुल की रक्षा के लिए जन्म दिया । आप सब को *बहुत बहुत बधाई* । *मेहंदी रोली कंगन* का सिँगार नही होता *रक्षा बँधन भईया दूज* का त्योहार नहीं होता रह जाते है वो घर सूने आँगन बन कर जिस घर मे *बेटियों* का *अवतार* नहीं होता *जन्म* देने के लिए *माँ* चाहिये *राखी* बाँधने के लिए *बहन* चाहिये *कहानी* सुनाने के लिए *दादी* चाहिये *ज़िद* पूरी करने के लिए *मौसी* चाहिए *खीर* खिलाने के लिए *मामी* चाहये *साथ* निभाने के लिए *पत्नी* चाहिये पर यह सभी रिश्ते निभाने के लिए *बेटियां* तो *जिन्दा* रहनी चाहये घर आने पर दौड़ कर जो पास आये उसे कहते हैं *बेटियां*👧 ।। थक जाने पर प्यार से जो *माथा* सहलाए उसे कहते हैं *बेटियां*👧 ।। *कल दिला देंगें* कहने पर जो *मान* जाये उसे कहते हैं *बेटियां* 👧 ।। हर रोज़ समय पर *दवा* की जो याद दिलाये उसे कहते हैं *बेटियां*👧 ।। घर को मन से फूल सा जो सजाये उसे कहते हैं *बेटियां*👧 ।। सहते हुए भी अपने *दुःख* जो छुपा जाये उसे कहते हैं *बेटियां*👧 ।। दूर जाने पर जो