Bina Lafzon Ke Koi Khat Padha Kya_बिना लफ़्ज़ों का कोई ख़त पढ़ा क्या -Rajend...

ग़ज़ल

बिना लफ़्ज़ों का कोई ख़त पढ़ा क्या,

मोहब्बत से कभी पाला पडा क्या !

 

अगर तुम प्यार का मतलब समझे,

तो सारी ज़िंदगी तुमने पढ़ा क्या !

 

कलम की बात है क़द है कलम का,

कलम वालों में फिर छोटा बड़ा क्या !

 

ज़बानों से सफ़र तय हो रहा है,

किसी का पाँव रस्ते पर बढ़ा क्या !

 

अनल हक़ की सदायें गूंजती हैं,

कोई मंसूर फिर सूली पर चढ़ा क्या !

 

हम उसके नाम पर क्यूँ लड़ रहे हैं,

कभी अल्लाह ईश्वर से लड़ा क्या !

- राजेंद्र तिवारी

https://youtu.be/kjr1MQRjTXI

 


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