Geet_Bandh To Bandhey Bahut They_बाँध तो बांधे बहुत मैंने हृदय पर_Lokesh...
GEET -
बाँध
तो बांधे बहुत मैंने हृदय पर,
पर
ना जाने क्यूँ तुम्हारी याद आई,
भूलना
मुश्किल बहुत अमृत पलों को,
कुन्तलों
की छाँव में जो साथ बीते,
शूल
पथ पर महक उठते फूल बनकर,
दुर्दिनो
में वे हमेशा साथ रहते,
मृगजलों
ने लाख भरमाया मुझे पर,
डोर
जो तुमसे जुडी थी छुट ना पाई !
बाँध
तो - - - -
टूटते
विश्वास बिखरी आस्थाएं,
इस
तपन में पा सका कब मन सहारा,
प्रीत
में लाचार पल जो भी मिले थे,
आज
रजनी में चमकते बन सितारा,
दूरियां
अच्छी लगीं नजदीकियों से,
जो
बसी दिल में नहीं होती पराई,
बाँध
तो - - - - -
नील
नभ के छोर से बादल घुमड़ कर,
प्यास
पपीहे की बढ़ा दें जिस तरह से,
घोर
मायूसी भरे वातावरण में,
आस
दिल में तुम जगाते उस तरह से,
कब
अँधेरे रोक पाए एक किरण को,
जो
कमल के अधर पर जा मुस्कराए,
बाँध
तो - - - - -
गीतकार-
लोकेश शुक्ला
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