SHAYARI- 02/09/2022
घुले, फ़िज़ां को मीठा कर दे, शोख तरन्नुम जैसा हो ।
किसी कली की पंखुड़ियों पर रखे तबस्सुम जैसा हो ।
चाँद सा चेहरा, आंख में जादू, जिस्म सरापा नूरानी इश्क
ढले पैकर में पंकज, तो बिल्कुल तुम जैसा हो ।
- पंकजअंगार
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ढूंढ
लिया है ख़ुद मे ही
सुकून !
यह
ख्वाहिशें तो खत्म होने से रही !!
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चेहरे
की हँसी से हर गम छुपाओ,
बहुत
कुछ बोलो पर कुछ ना बताओ,
खुद
ना रूठो कभी पर सबको मनाओ,
राज़
है ये ज़िंदगी का बस जीते चले जाओ,
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कभी
फुरसत में अपनी गलतियों, कमियों पर गौर
करना !
दूसरों
को आईना दिखाने की, सारी हसरतें
ख़त्म हो जाएंगी !!
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पतझड़
में ही रिश्तों की परख होती है
बारिश में तो हर पत्ता हरा ही दिखता है
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मिट्टी के कारोबार में मशहूर थे जो लोग,
एक रोज़ वो भी मिट्टी की खुराक हो गये !
-ज़ीनत एहसान कुरैशी
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मैं लफ़्ज़ लफ़्ज़ में तुझको तलाश करता हूँ,
सवाल में नहीं आता नआ, जवाब में आ।
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मुझे नजर अंदाज करना तो शिद्दत से करना ,
कहीं नजर आ गया तो अंदाज बदल जाएगा !
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देखने का जुनून और भी गहरा होता है,
जब उनके चेहरे पर बालों का पहरा होता है !
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