SHAYARI 29-09-2022

लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मज़ार।
बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।।
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आत्म हत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोड़कर,
अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता ।
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चूम लो माथा मेरा
मर रहा हूँ जी उठूँगा   
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तू हज़ार बार भी रूठे तो मना लूँगा तुझे
मगर देख मोहब्बत में शामिल कोई दूसरा ना हो।
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मुझे पाने की तुम ज़िद ना करो
किसी की छोड़ी हुई मोहब्बत हूं मैं।
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हो तल्लुक तो रूह से हो
दिल तो अक्सर भर जाते हैं ।
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एक उम्र से तराश रहा हूँ खुद को, कि हो जाऊं लोगो के मुताबिक...
पर हर रोज ये जमाना मुझमे, एक नया ऐब निकाल लेता है.…
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रिश्ते बरकरार रखने की सिर्फ़ एक ही शर्त है, 
किसी की कमियां नही सिर्फ़ अच्छाइयां देखें !
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हर पेड़ फल दे ये जरूरी तो नहीं !
किसी की छाया भी बड़ा सुकून देती है !!   
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--तमाम ख्वाहिशों से परे एक तमन्ना पूरी हो जाए,
काश एक उम्र में "बचपन" दो बार मिल जाए !


 


 

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