SHAYARI 23.11.2023
बताना चाहते थे , जो बताना नहीं आया , जो छुपाना चाहते थे , छुपाना नहीं आया। एक ज़माने से था जिस , ज़माने का इंतेज़ार , ज़माना बीत गया , वो ज़माना नहीं आया।। कभी फुरसत में अपनी कमियों पर गौर करना ! दूसरों के आईने बनने की ख्वाहिश मिट जाएगी !! For Ghazal Programme # +91 9140886598 गिले शिकवे मिटा कर सोया करो ! मौत मुलाकात का मौका नही देती यारों !! For Ghazal Programme # +91 9140886598 --- देखना साथ ही टूटे ना "बुजुर्गों" का कहीं ! पत्ते पेड़ों पर लगे हों तो हरे रहते हैं !! For Ghazal Programme # +91 9140886598 " मां" की जान और "पिता" की होती हैं ये "लाडली" ! कोई नही कर सकता "बेटियों" की बराबरी !! -- तरक्की की फसल , हम भी काट लेते ! थोड़े से तलवे , अगर हम भी चाट लेते !! For Ghazal Programme # +91 9140886598 -- कुछ इख्तियार नहीं किसी का तबिअत पर , यह जिस पर आती है बेइख्तियार आती है। For Ghazal Programme # +91 9140886598 -- बात मोहब्बत की थी , तभी तो लूटा दी जिंदगी तुझ पे