SHAYARI 03-02-2024

 

ख़ुद ही जलती हुई शम्मो को बुझा लेते हैं  !

हम कभी यूँ भी अँधेरों का मज़ा लेते हैं  !!

कितने नादान हैं अश्क़ों को छिपाने वाले  !

लोग हर हाल में अंदाज़ा लगा लेते हैं  !!

~ हस्तीमलहस्ती, मुंबई

2

किसको मन के घाव दिखाएँ, हाल सुनाएँ जी के  !

इंसानो से ज़्यादा अच्छे पत्थर किसी नदी के  !!

हर कंधे पे सौ सौ चेहरे, गिनती क्या एक दो की   !

रावण से ज़्यादा ख़तरे हैं, इस बीसवीं सदी के  !!

~ सूर्यभानुगुप्ता

3

किसी के जख्म की टीसों पे, मेरी रूह तड़प जाये।

किसी के पैर के छालों से, मेरी आह निकल जाये

प्रभु ऐसे ही भावों से मेरे, इस दिल को तुम भर दो।

मैं कतरा हूँ मुझे इंसानियत का,दरिया तुम कर दो।।

4

उतर जाते हैं दिल में कुछ लोग इस कदर,

उनको निकालो तो जान निकल जाती है !

5

अकेले हैं अच्छा हुआ, खुद से बात तो होगी,

बरसों से कैद अरमानों से मुलाकात तो होगी।

6

कुसूर तो था ही इन निगाहों का,

जो चुपके से दीदार कर बैठी,

हमने तो खामोश रहने की ठानी थी,

कमबख्त यह जुबान इजहार कर बैठी !

 

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