SHAYARI 16-05-2025

                 इन अश्क़ों को पानी कहना, भूल नहीं नादानी है,

तन-मन में जो आग लगा दे, ये तो ऐसा पानी है !

कैसे तुमसे इश्क़ हुआ था, क्या क्या हम पर बीती है,

सुन लो तो सच्चा अफसाना, वरना एक कहानी है !

-कँवर महेंद्र सिंह बेदी

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इस सोच में बैठा हूँ, क्या ग़म उसे पहुंचा है,

बिखरी हुई जुल्फें हैं, उतरा हुआ चेहरा है !

जिस फूल को तितली ने, चूमा मेरी जानिब से,

ज़ालिम ने उस कलि को, मसला नहीं रौंदा है !

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इक न इक शम्मआ अँधेरे में जलाये रखिये,

सुबह होने को है, माहौल बनाये रखिये !!  


 

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