GHAZAL-CHAND BANKE AASMAN PE AAIYE
Chand Ban Kar Aasmaan Par Aaiye |
Zindgi Me Fir Baharen Laaiye ||
Maikade Me Ashiqi Ke Doob Kar |
Pyas Is Dil Ki Bujhate Jaiye ||
Zindgi Ki Raah Me Jab Tum Miley |
To Zara Qismat Jagate Jaiye ||
Saaqiya Aabaad Maikhana Rahe |
Mast Ankhon Se Pilate Jaiye ||
Nafraton Ki Is Andheri Raah Me |
Pyar Ki Shamma Jalate Jaiye ||
Beech Toofan Me Na Mujhko Chodiye |
Paar 'Raunaq' Ko Lagate Jaiye ||
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चाँद बन कर आसमां पर आईये |
ज़िन्दगी में फिर बहारें लाईये ||
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मैकदे में आशिक़ी के डूब कर |
प्यास इस दिल की बुझाते जाईये ||
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ज़िन्दगी की राह में जब तुम मिले |
तो ज़रा
क़िस्मत जगाते जाईये ||
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साकिया अबादा मैख़ाना रहे |
मस्त आँखों से पिलाते जाईये ||
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नफरतों की इस अंधेरी रात में |
प्यार की शम्मा जलाते जाईये ||
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बीच तूफां में ना मुझको छोडिये |
पार ‘रौनक़’ को लगाते जाईये ||
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- प्रदीप श्रीवास्तव "रौनक़"
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