गीत

सुप्रभात,
डा माधवी लता शुक्ल द्वारा रचित एक अच्छा गीत:

द्वार पिया के जाना पंछी,
दिल का दर्द सुनाना पंछी !
जब वे भीड़ बीच बैठे हों,
सम्मुख से उड़ जाना पंछी !!

कहना कोई अचल शिला सा,
पल पल गगन निहारा करता !
बनते मिटते मेघ पटल पर,
अनुपम चित्र उतारा करता !
उलट पलट करतब दिखला कर,
चरणों मे गिर जाना पंछी,
द्वार पिया.......
कहना कोई मेघ देख कर,
दामिनी सदृश्य चमकता रहता,
बूंद बूंद में प्राण रमा कर,
आत्म विभोर बरसता रहता !
रिक्त कलश में चंचु डुबो कर,
फिर पिंजड़े में पंख फंसाकर,
तड़प तड़प मर जाना पंछी !
द्वार पिया के ....
~ माधवी लता शुक्ल

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